6th September 2014
विक्रम सम्वत् 2071
भाद्रपद शुक्ल द्वादशी
प्रभावे सर्व देवानां वामनाय नमो नम:॥
भक्तो की रक्षा, दुष्टों का संहार और धर्म की रक्षा के लिये भगवान बार-बार अवतार लेते हैं। क्षीरशायी भगवान का विराट रूप होता है। उस विराट रूप के सहस्त्रों सिर, सहस्त्रों कर्ण, सहस्त्रों नासिकाएँ, सहस्त्रों मुख, सहस्त्रों भुजाएँ तथा सहस्त्रों जंघायें होती हैं। वे सहस्त्रों मुकुट, कुण्डल, वस्त्र और आयुधों से युक्त होते हैं। उस विराट रूप में समस्त लोक ब्रह्माण्ड आदि व्याप्त रहते हैं , उसी के अंशों से समस्त प्राणियों की उत्पत्ति होती है ।
देवताओं को दैत्यराज बलि के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिये भगवान विष्णु ने वामन रुप में अवतार लिया था। भगवान के इस वामन रुप की पूजा करने के लिये भगवान वामनदेव की मूर्ति स्थापित कर तांबे के पात्र में अर्ध्य दान करें। अगर सामर्थ्य हो तो स्वर्ण मूर्ति की स्थापना करें। अर्ध्य मंत्र है-
नमस्ये पद्मनाभाय नमस्ते जल; शायिने तुभ्यमर्च्य प्रयक्षामि वाल यामन आपिणे,नम:
शांग धनुर्याणि पाठये वामनाय च,यज्ञभुव फ़लदा त्रेच वामनाय नमो नम:॥
भगवान वामदेव की स्वर्ण मूर्ति के समक्ष 52 पेडे तथा दक्षिणा रखकर पूजन करना चाहिए। भगवान वामन को दही, चावल, चीनी, शरबत, का भोग लगाना चाहिए। उसके बाद यह सभी चीजे दक्षिणा के रुप में ब्राह्मण को दान करके व्रत का धारण करना चाहिए। इस दिन दान में ब्राह्मणों को एक माला, एक कमण्डल, लाठी, आसन, गीता, फ़ल, छाता, तथा खडाऊं भी दक्षिणा में देना चाहिए । इस व्रत को करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
दैत्यराज बलि ने एक बार देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। जिससे देवताओं पर अत्याचार बढ़ने लगा। देवताओं को राक्षसों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिये भगवान विष्णु ने देव माता अदिति और महर्षि कश्यप के घर वामन का जन्म लिया। दैत्यराज बलि बहुत ही दानवीर था। भगवान यह भली-भांति जानते थे। इसलिये उन्होनें वामन ब्रह्मचारी का रुप धारण कर, राजा बलि से तीन पग जमीन मांगी। दानी बलि वामन देव को तीन पग जमीन देने के लिये मान गए। वामन रुप भगवान ने एक पग से स्वर्ग दूसरे से पृथ्वी नाप ली। तीसरे पग के लिए जब कोई स्थान रहा तो वचन के पक्के बलि ने अपना सिर भगवान के आगे रख दिया। भगवान वामन बलि की उदारता से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होनें बलि के सिर पर पैर रख उसे पाताल लोक पहुँचा, वहाँ का राजा बना दिया।
No comments:
Post a Comment